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JSSC ने निकाला सहायक आचार्य परीक्षा का संशोधित रिजल्ट, 246 अभ्यर्थी हो गए बाहर, भाषा विषय में 813 सफल, 71% पद अब भी खाली

JSSC ने निकाला सहायक आचार्य परीक्षा का संशोधित रिजल्ट, 246 अभ्यर्थी हो गए बाहर, भाषा विषय में 813 सफल, 71% पद अब भी खाली

झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) ने विद्यालय प्रशिक्षित सहायक आचार्य संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा-2023 का संशोधित परिणाम घोषित कर दिया। इसमें कक्षा 6 से 8 के लिए भाषा विषय के केवल 813 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया है। पहले घोषित परिणाम में 1,059 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था, लेकिन संशोधित सूची में 246 नाम हटा दिए गए। कुल 4,991 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई थी, जिनमें से अब 4,178 पद खाली रह गए हैं। इसका सीधा असर स्कूलों में शिक्षकों की कमी पर पड़ेगा।

गणित-विज्ञान और प्राथमिक वर्ग में भी हजारों पद खाली

सहायक आचार्य के 20,001 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। पहली से पांचवीं के लिए 11,000 पदों में से 4,333 अभ्यर्थी सफल हुए और 6,667 पद खाली रह गए। वहीं, छठी से आठवीं के गणित-विज्ञान विषय में 5,008 पदों पर भर्ती होनी थी, लेकिन संशोधित रिजल्ट में मात्र 1,454 अभ्यर्थी सफल हुए। इस तरह 3,554 पद खाली रह गए, जो कुल पदों का दो-तिहाई से अधिक है। आयोग ने साफ किया है कि कई अभ्यर्थियों का रिजल्ट डॉक्युमेंट्स के अभाव में रोका गया है और विभागीय मार्गदर्शन के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।

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आरक्षण और श्रेणी बदलाव से रिजल्ट में बड़ा फेरबदल

संशोधित परिणाम की मुख्य वजह अभ्यर्थियों की श्रेणी में बदलाव है। कई उम्मीदवारों का चयन अनारक्षित वर्ग में हुआ था, लेकिन उन्होंने जे-टीईटी में आरक्षण का लाभ लिया था। संशोधन के बाद उन्हें आरक्षित श्रेणी में शिफ्ट किया गया। इसी तरह पारा कैटेगरी के कुछ अभ्यर्थियों को उम्र सीमा में छूट मिली थी, लेकिन उनका चयन सामान्य वर्ग में हो गया था। नए रिजल्ट में उन्हें आरक्षित कैटेगरी में समायोजित किया गया। आयोग का कहना है कि कोर्ट के किसी फैसले से परिणाम में और भी बदलाव संभव हैं।

जिलावार सफल अभ्यर्थियों की संख्या और आगे की चुनौती

संशोधित रिजल्ट में रांची से 95, पलामू से 83, देवघर से 55, धनबाद से 42, बोकारो और जमशेदपुर से 40-40, जबकि हजारीबाग से 49 अभ्यर्थी सफल हुए हैं। वहीं, लातेहार से मात्र 8, कोडरमा से 10 और साहिबगंज से 10 अभ्यर्थी पास हुए। कुल मिलाकर अब भी अधिकांश पद खाली रह गए हैं। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन पदों को योग्य उम्मीदवारों से भरना विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। पूर्व वीसी डॉ. केके नाग ने कहा है कि शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए सरकार को त्वरित कदम उठाने होंगे।

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