XLRI ने एकेडमिक पैटर्न में किया बदलाव, क्लासरूम पढ़ाई के साथ लाइव केस स्टडीज और करंट अफेयर्स डिस्कशन पर जोर, कई बी-स्कूल्स भी इसी राह पर
रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका-चीन और अमेरिका-भारत के बीच जारी व्यापारिक तनाव ने वैश्विक व्यापार की दिशा ही बदल दी है। इन तेज़ी से बदलते अंतरराष्ट्रीय समीकरणों ने दुनिया भर की कंपनियों को नीतिगत बदलाव करने पर मजबूर कर दिया है। इसी बदलाव को समझते हुए भारत के टॉप बिजनेस स्कूल, खासतौर पर एक्सएलआरआई जमशेदपुर, ने अपनी शिक्षण पद्धति में व्यापक परिवर्तन किए हैं। अब यहां पढ़ाई केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि छात्रों को अंतरराष्ट्रीय घटनाओं, जियो-पालिटिकल संकटों और वैश्विक व्यापारिक नीतियों से जोड़ते हुए लाइव केस स्टडीज और करंट अफेयर्स डिस्कशन के जरिए पढ़ाया जा रहा है। इसका उद्देश्य है – भविष्य के मैनेजर्स को एक जटिल और अस्थिर वैश्विक बाजार के लिए तैयार करना।
क्लासेस में गूंजने लगे हैं वैश्विक मुद्दे
एक्सएलआरआई के क्लासरूम अब केवल एकेडमिक चर्चाओं का केंद्र नहीं हैं। यहां अब रूस-यूक्रेन युद्ध, सप्लाई चेन संकट, अमेरिका-चीन ट्रेड वार और कच्चे तेल की कीमतों जैसे मुद्दों पर खुली बहस होती है। संस्थान के डीन (एकेडमिक्स) प्रो. संजय पात्रो का कहना है, “छात्र अब समझ पा रहे हैं कि एक देश में हुआ राजनीतिक फैसला कैसे दुनियाभर के कॉर्पोरेट निर्णयों को प्रभावित कर सकता है।” प्रोफेसर्स छात्रों को सिखा रहे हैं कि कैसे अखबार की सुर्खियों को बोर्डरूम की रणनीति से जोड़ा जाए। इस रियल-टाइम लर्निंग से छात्रों की विश्लेषण क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता में जबरदस्त सुधार हो रहा है।
ESG, एआई और स्टार्टअप गवर्नेंस पर फोकस
संस्थान ने अपने कोर्स में ईएसजी (Environment, Social & Governance), सस्टेनेबल फाइनेंस, क्लाइमेट रिस्क और जनरेटिव एआई जैसे भविष्य-उन्मुख विषयों को भी शामिल किया है। HRM के छात्रों के लिए ‘Future of Work’ विषय शुरू किया गया है, जहां ChatGPT और एआई टूल्स के जरिए एचआर प्रक्रियाओं में हो रहे बदलावों पर चर्चा होती है। प्रो. पात्रो के अनुसार, ESG पर आधारित चर्चाओं ने छात्रों को क्लाइमेट रिस्क पर उच्च गुणवत्ता वाले रिसर्च प्रोजेक्ट करने के लिए प्रेरित किया है, जबकि AI आधारित कक्षाओं ने कई हैकाथॉन और इन्नोवेटिव प्रोजेक्ट्स को जन्म दिया है।
बदलते समय के साथ बदली शिक्षण शैली
अब शिक्षकों को सिलेबस के अपडेट का इंतजार नहीं करना पड़ता। वे कक्षा में मौजूदा अंतरराष्ट्रीय घटनाओं को तुरंत शामिल कर रहे हैं। चाहे वो ट्रेड टैरिफ हो, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स का स्थानांतरण या कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव – हर मुद्दे को बिजनेस निर्णयों से जोड़कर पढ़ाया जा रहा है। छात्रों को यह सिखाया जा रहा है कि जोखिमों का आकलन कैसे करें और अनिश्चित वैश्विक माहौल में रणनीतिक निर्णय कैसे लें।
दूसरे टॉप बी-स्कूल्स भी इसी राह पर
केवल एक्सएलआरआई ही नहीं, बल्कि आईआईएम कोलकाता, आईआईएम इंदौर, एमडीआई गुड़गांव और आईएसबी हैदराबाद जैसे देश के अग्रणी प्रबंधन संस्थान भी जियो-पालिटिक्स, ट्रेड वार और ग्लोबल इकनॉमिक पॉलिसी को कोर्स में शामिल कर चुके हैं। यह ट्रेंड भारत की मैनेजमेंट एजुकेशन को एक नई दिशा दे रहा है।