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विनोबा भावे विश्वविद्यालय : एक-दो शिक्षकों के भरोसे एमएड, एमबीए, बायोटेक जैसे सेल्फ फिनांस्ड कोर्स, विभागों को नहीं मिल रहे स्टूडेंट्स

विनोबा भावे विश्वविद्यालय : एक दो शिक्षकों के भरोसे एमएड, एमबीए, बायोटेक जैसे सेल्फ फिनांस्ड कोर्स, विभागों को नहीं मिल रहे स्टूडेंट्स

हजारीबाग स्थित विनोबा भावे विश्वविद्यालय (विभावि) के अंगीभूत कॉलेजों और पोस्ट ग्रेजुएट कैंपस में संचालित स्ववित्त पोषित व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। बीएड, लॉ, फिजियोथैरेपी, इंजीनियरिंग, एमसीए और बीसीए जैसे कुछ लोकप्रिय पाठ्यक्रमों को हर साल एडमिशन के लिए बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स मिल जा रहे हैं।

वहीं एमएड, एमबीए, सीएनडी, बायोटेक, योगा एंड नेचुरोपैथी, लाइब्रेरी साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और फॉरेंसिक साइंस जैसे कोर्स में छात्रों की रुचि घट रही है। स्थिति यह है कि विश्वविद्यालय को इन पाठ्यक्रमों में दाखिले की अंतिम तिथि नवंबर तक बार-बार बढ़ानी पड़ती है, ताकि नामांकन का आंकड़ा पूरा किया जा सके।

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शहर के चार कॉलेजों में स्टाफ की भारी कमी

केबी महिला महाविद्यालय की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। यहां बीसीए विभाग केवल एक शिक्षक और एक शिक्षकेतर कर्मचारी के सहारे चल रहा है। फैशन डिजाइनिंग विभाग में स्थायी शिक्षक एक भी नहीं हैं। पढ़ाई गेस्ट फैकल्टी के भरोसे हो रही है।

सीएनडी में तीन शिक्षिका और तीन शिक्षकेतर, जबकि बीएमएलटी में दो शिक्षक और एक शिक्षकेतर हैं। बीसीएस विभाग दो शिक्षक और चार शिक्षकेतर के सहारे संचालित है। रामगढ़ महाविद्यालय का हाल इससे भी बदतर है। यहां बीसीए विभाग सिर्फ एक शिक्षक के सहारे चल रहा है और शिक्षकेतर कर्मचारी नहीं हैं।

संत कोलंबस और अन्य कॉलेजों में भी वही हाल

विश्वविद्यालय परिसर के अलावा हजारीबाग, चतरा, कोडरमा, रामगढ़ और गिरिडीह जिलों के कई अंगीभूत कॉलेजों में भी स्थिति चिंताजनक है। विश्वविद्यालय का प्रीमियर कॉलेज संत कोलबंस के बीसीए विभाग में केवल दो शिक्षक और चार शिक्षकेतर हैं। बायोटेक्नोलॉजी विभाग एक शिक्षक के भरोसे चल रहा है।

बीएड कोर्स में 16 की जगह मात्र नौ शिक्षक हैं। वहीं छह शिक्षकेतर कार्यरत हैं। मार्खम कॉलेज हजारीबाग में बीसीए के लिए दो शिक्षक हैं, पर शिक्षकेतर कोई नहीं। बीजेएमसी विभाग में एक, बीबीए में एक और बीलिब विभाग में भी सिर्फ एक शिक्षक कार्यरत हैं।

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विश्वविद्यालय के पास है शिक्षकों की नियुक्ति का पावर

इन सभी स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों का संचालन विद्यार्थियों से लिए गए शुल्क से होता है, और शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार विश्वविद्यालय प्रशासन के पास है। इसके लिए राजभवन या एचआरडी विभाग से किसी स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है। इसके बावजूद वर्षों से अधिकांश विभाग एक-दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं।

शिक्षकों की कमी को लेकर विश्वविद्यालय के शिक्षक प्रतिनिधि चंदन सिंह ने कुलपति को पत्र लिखते हुए तत्काल नियुक्ति की मांग की है। उनका कहना है कि विभागों में पर्याप्त शिक्षक और आधारभूत संरचना उपलब्ध कराए बिना विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

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