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झारखंड में 316356 पुरुष, 117098 महिलाएं और 20 रजिस्टर्ड बेरोजगार ट्रांसजेडर तलाश रहे नौकरी, नियोजनालयों में रजिस्टर्ड नियोक्ता केवल 7,784

झारखंड में 316356 पुरुष, 117098 महिलाएं और 20 रजिस्टर्ड ट्रांसजेडर हैं बेरोजगार, रजिस्टर्ड नियोक्ता केवल 7,784

झारखंड में बेरोजगारी की तस्वीर चिंताजनक है। प्रदेश के 24 जिलों में कुल 4.34 लाख से अधिक युवा रोजगार की कतार में खड़े हैं। इनमें 3.16 लाख पुरुष, 1.17 लाख महिलाएं और 20 ट्रांसजेंडर शामिल हैं। सभी ने नौकरी की तलाश में अपने-अपने जिले के नियोजनालयों में पंजीकरण करा रखा है। सबसे अधिक बेरोजगार 45,029 पलामू जिले में हैं।
वहीं 37,887 बेरोजगारों के साथ धनबाद दूसरे स्थान पर है। इन निबंधित युवाओं में सिर्फ सामान्य पढ़ाई करने वाले ही नहीं, बल्कि उच्च शिक्षा प्राप्त लोग भी हैं। 82 डॉक्टरेट, 16.4 हजार स्नातकोत्तर और 82 हजार स्नातक भी नौकरी की तलाश में नियोजनालयों की सूची में दर्ज हैं। इसके अलावा 1.12 लाख 12वीं पास, 1.22 लाख 10वीं पास, 15.7 हजार आईटीआई, 14.6 हजार डिप्लोमा धारक और हजारों अन्य सर्टिफिकेट कोर्स किए युवा रोजगार की आस में इंतजार कर रहे हैं।

82.43 प्रतिशत बेरोजगार की उम्र 20 से 39 वर्ष के बीच

राज्य के आंकड़े बताते हैं कि बेरोजगारी सबसे ज्यादा युवा वर्ग को प्रभावित कर रही है। कुल निबंधित बेरोजगारों में 82.43 प्रतिशत की उम्र 20 से 39 वर्ष के बीच है। यानी सबसे अधिक ऊर्जा और क्षमता से भरे युवा ही रोजगार न मिलने के कारण प्रतीक्षा सूची में हैं। 19 साल तक के युवाओं की संख्या 10 प्रतिशत है और शेष 40 साल से अधिक उम्र के हैं। यह तस्वीर बताती है कि झारखंड का भविष्य कहे जाने वाले युवा ही सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। वहीं, शिक्षा के उच्च स्तर तक पहुंचने वाले युवाओं के पास भी नौकरी के पर्याप्त अवसर नहीं हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।

बेरोजगारों के मुकाबले नियुक्ति देने वाले सीमित

झारखंड में नियोजकों की संख्या बेरोजगारों के मुकाबले बेहद कम है। राज्य के नियोजनालयों में सिर्फ 7,784 रजिस्टर्ड नियोक्ता हैं। इनमें सबसे ज्यादा 1,526 पूर्वी सिंहभूम में और उसके बाद 844 रांची, 833 बोकारो और 826 धनबाद में दर्ज हैं। छोटे जिलों की स्थिति और भी कमजोर है। लोहरदगा में महज 61, पाकुड़ में 70 और खूंटी में केवल 73 नियोक्ता पंजीकृत हैं। जब लाखों युवा रोजगार की तलाश में हों और नियोक्ताओं की संख्या कुछ हजार ही हो, तो बेरोजगारी की खाई और चौड़ी होना स्वाभाविक है।

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धनबाद की स्थिति: रोजगार मेले से भी राहत नहीं

धनबाद, जो राज्य का औद्योगिक और खनन क्षेत्र है, वहां की स्थिति भी बेहतर नहीं दिखती। पिछले दो वित्तीय वर्षों में धनबाद के नियोजनालय और उपनियोजनालयों में कुल आठ रोजगार मेले और चार भर्ती कैंप लगे। इन आयोजनों में कई कंपनियां शामिल हुईं और हजारों युवाओं ने आवेदन भी किया, लेकिन नौकरी पाने वालों की संख्या बेहद कम रही।
साल 2024-25 में महज 859 युवाओं को रोजगार मिल सका, जबकि 2025-26 के पहले पांच महीनों में 201 युवाओं का ही चयन हुआ। सिंदरी और कुमारधुबी नियोजनालय भी मिलाकर केवल 1,100 युवाओं को नौकरी दिला पाए। इस तरह दो वित्तीय वर्षों में धनबाद जिले में महज 2,160 युवाओं को ही नौकरी मिल पाई।

17 महीनों में केवल 55,798 युवाओं को ही मिली नौकरी

राज्यभर में बीते 17 महीनों यानी अप्रैल 2024 से अगस्त 2025 तक रोजगार मेलों और भर्ती कैंपों के जरिए सिर्फ 55,798 युवाओं को ही नौकरी दी जा सकी है। यह संख्या कुल निबंधित बेरोजगारों का महज एक अंश है। हर साल बेरोजगारों की तादाद बढ़ रही है, लेकिन नियुक्ति की रफ्तार उस हिसाब से नहीं है। यह स्थिति सरकार की योजनाओं और रोजगार सृजन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों पर सवाल खड़ा करती है। अगर यही हालात रहे, तो आने वाले वर्षों में झारखंड की बेरोजगारी और विकराल रूप ले सकती है।

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