झारखंड में चार में से एक बच्चा ले रहा प्राइवेट कोचिंग, शहर में रहने वाला छात्र हर साल खर्च कर रहा 4,484 रुपये
झारखंड के स्कूलों में पढ़ाई करने वाले करीब 40 फीसदी बच्चे अब सिर्फ स्कूल पर निर्भर नहीं हैं। बेहतर परीक्षा तैयारी के लिए वे प्राइवेट कोचिंग का सहारा ले रहे हैं। यह बात केंद्र सरकार के नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) की रिपोर्ट में सामने आई है। सर्वे में पाया गया कि जैसे-जैसे बच्चे बड़ी कक्षाओं में पहुंचते हैं, वैसे-वैसे कोचिंग पर उनकी निर्भरता भी बढ़ती जाती है। राज्य में औसतन हर विद्यार्थी सालाना 2,220 रुपये कोचिंग पर खर्च कर रहा है।
शहर के 42.6% बच्चे ले रहे हैं कोचिंग
रिपोर्ट में साफ हुआ है कि शहरों के बच्चे न सिर्फ ज्यादा संख्या में कोचिंग ले रहे हैं, बल्कि खर्च भी काफी ज्यादा कर रहे हैं। शहरी इलाकों में जहां 42.6% बच्चे कोचिंग ले रहे हैं, वहीं ग्रामीण इलाकों में ये आंकड़ा 36.9% है। खर्च की बात करें तो गांवों में बच्चे सालाना औसतन 1,794 रुपये खर्च करते हैं, जबकि शहरों में ये खर्च 4,484 रुपये तक पहुंच जाता है। यानी शहर के बच्चों का खर्च गांव के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा है।
जैसे-जैसे क्लास बढ़ती है, कोचिंग की जरूरत पड़ती है
कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों में 32% कोचिंग ले रहे हैं, लेकिन जैसे ही बच्चे मिडिल स्कूल (6 से 8) में आते हैं, ये आंकड़ा 46.7% हो जाता है। कक्षा 9 और 10 में 51% और 11-12 में ये आंकड़ा 54.8% तक पहुंच जाता है। छात्राओं के मुकाबले छात्र ज्यादा कोचिंग लेते हैं और उन पर खर्च भी ज्यादा होता है। मिडिल स्कूल में 50.2% लड़के और 39.5% लड़कियां कोचिंग कर रही हैं।
झारखंड देश के औसत से काफी आगे
जहां देशभर में औसतन 19.9% बच्चे कोचिंग ले रहे हैं, वहीं झारखंड में यह आंकड़ा लगभग दोगुना है। शहरी भारत में यह आंकड़ा 27.8% और ग्रामीण भारत में 16.1% है। इससे साफ है कि झारखंड के बच्चों में कोचिंग को लेकर ज्यादा रुझान है। ये ट्रेंड इस बात की ओर इशारा करता है कि स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता पर अब भी काम करने की जरूरत है।
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एक नजर में स्टूडेंट्स और प्राइवेट कोचिंग
- झारखंड में 39.7% स्कूली बच्चे ले रहे प्राइवेट कोचिंग
- शहरी बच्चों का सालाना खर्च: ₹4,484
- ग्रामीण बच्चों का खर्च: ₹1,794
- कोचिंग लेने वाले शहरी छात्र: 42.6%, ग्रामीण: 36.9%
- क्लास 11-12 में कोचिंग लेने वाले बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा (54.8%)
- राष्ट्रीय औसत 19.9%, झारखंड उससे लगभग दोगुना