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JSSC की नियुक्ति परीक्षाओं में लागू होगा पुराना पैटर्न, पहले प्री देना होगा, क्वालिफाई करते हैं तो मेंस के लिए बुलाया जाएगा

JSSC की नियुक्ति परीक्षाओं में लागू होगा पुराना पैटर्न, पहले प्री देना होगा, क्वालिफाई करते हैं तो मेंस के लिए बुलाया जाएगा

झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा ली जाने वाली मैट्रिक और इंटर स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षाओं के पैटर्न में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब तक यह परीक्षा केवल एक चरण में आयोजित होती थी, लेकिन कार्मिक विभाग ने इसे दो चरणों में आयोजित करने का प्रस्ताव तैयार किया है।

प्रस्ताव के अनुसार पहले अभ्यर्थियों को प्रारंभिक परीक्षा (प्री) देनी होगी और सफल होने पर मुख्य परीक्षा (मेंस) के लिए बुलाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, कार्मिक विभाग ने इस बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है और सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद इसे राज्य कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। कैबिनेट की स्वीकृति मिलते ही यह नया पैटर्न लागू कर दिया जाएगा।

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स्नातक स्तरीय परीक्षा से प्रेरित हो कर किया जा रहा बदलाव

गौरतलब है कि झारखंड कार्मिक विभाग ने वर्ष 2021 में बनाए गए जेएसएससी परीक्षा संचालन नियमावली के तहत स्नातक स्तरीय तकनीकी और विशेष योग्यता वाले पदों के लिए एक ही चरण में मुख्य परीक्षा आयोजित करने का नियम बनाया था।

हालांकि, बीते कुछ माह पहले इस नियमावली में संशोधन कर दो चरणों वाली प्रणाली को लागू किया गया। इस संशोधन को कैबिनेट की मंजूरी भी मिल चुकी है। अब उसी तर्ज पर मैट्रिक और इंटर स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा को भी दो चरणों में आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। विभाग का मानना है कि इस बदलाव से परीक्षा प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष होगी।

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बदलाव के पीछे पांच तर्क

  • जब प्रतियोगी परीक्षाएं दो चरणों में आयोजित की जाती थीं, तब बड़े पैमाने पर अनियमितता या कदाचार की शिकायतें सामने नहीं आती थीं।
  • एक ही चरण की परीक्षा व्यवस्था पर सवाल उठते रहे हैं।
  • प्रारंभिक परीक्षा से योग्य उम्मीदवारों का चयन होगा और फिर मुख्य परीक्षा में केवल उन्हीं का प्रदर्शन आंका जाएगा।
  • इससे पेपर लीक या अन्य गड़बड़ियों की संभावना काफी हद तक कम होगी।
  • परीक्षाओं की विश्वसनीयता और पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

कोर्ट में भी उठा मुद्दा, सरकार पर नाराजगी

जेएसएससी की परीक्षाओं को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में भी लगातार सुनवाई हो रही है। हाल ही में दायर एक याचिका में मांग की गई थी कि आयोग की संयुक्त स्नातक स्तरीय (CGL) परीक्षा के परिणाम पर लगी रोक को हटाया जाए, लेकिन कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया।
इसके साथ ही, कोर्ट ने पेपर लीक के मामलों को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना की थी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जब तक परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी नहीं होगी, तब तक परिणाम पर रोक नहीं हटाई जाएगी। माना जा रहा है कि कोर्ट की सख्ती और पारदर्शिता को लेकर उठ रहे सवाल भी सरकार को परीक्षा पैटर्न में बदलाव करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

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