झारखंड के विश्वविद्यालयों में एडमिशन का संकट, 3.96 लाख ने किया आवेदन, सिर्फ 1.75 लाख ने लिया दाखिला
झारखंड के नौ सरकारी विश्वविद्यालयों में इस शैक्षणिक सत्र की नामांकन प्रक्रिया चौंकाने वाली तस्वीर पेश कर रही है। स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए 3,96,225 विद्यार्थियों ने ऑनलाइन आवेदन किया था। लेकिन नामांकन कराने पहुंचे सिर्फ 1,75,529 छात्र-छात्राएं ही। यानी करीब 2,20,966 विद्यार्थी आवेदन करने के बावजूद दाखिले से दूर रहे।
राज्य के सबसे पुराने रांची विश्वविद्यालय की स्थिति सबसे अधिक चिंताजनक है। यहां 1,01,460 विद्यार्थियों ने आवेदन किया, लेकिन नामांकन कराने वालों की संख्या घटकर 37,327 पर सिमट गई। यह स्थिति तब है जब कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) की अनिवार्यता हटा दी गई थी। बावजूद इसके छात्रों ने प्राथमिकता सूची भरने के बाद भी नामांकन नहीं कराया।

सभी विश्वविद्यालयों 10 महीने तक देर है सेशन
राज्य के लगभग सभी विश्वविद्यालयों में नियमित सत्र समय पर नहीं चल पा रहे। स्नातक पाठ्यक्रम में कक्षाएं पांच से दस महीने लेट हो रही हैं। इस बीच, अधिकांश विश्वविद्यालयों में स्नातक प्रथम सेमेस्टर की पढ़ाई शुरू हो चुकी है। लेकिन दाखिला प्रक्रिया अक्टूबर 2025 तक जारी रहने की संभावना जताई जा रही है। एक्सपर्ट के मुताबिक नामांकन संकट का एक बड़ा कारण विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी भी है। अभी तक अधिकांश विवि में पर्याप्त संकाय उपलब्ध नहीं हैं। राज्य सरकार ने 2404 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन इसके पूर्ण होने में समय लगेगा। शिक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक पर्याप्त शिक्षक नहीं मिलेंगे, तब तक गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई संभव नहीं है।
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एडमिशन प्रोसेस काफी लंबा, उलझन रहे स्टूडेंट्स
छात्रों का कहना है कि दाखिला प्रक्रिया लंबी और जटिल है। पंजीयन शुल्क व अन्य शुल्क भरने के बाद भी अंतिम नामांकन तय तिथि तक करना पड़ता है। कई विद्यार्थी समय पर दस्तावेज पूरे नहीं कर पा रहे हैं।अगर सत्र नियमित और शिक्षक पर्याप्त हों तो विद्यार्थी नामांकन से पीछे नहीं हटेंगे।
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