झारखंड में बिना मान्यता चल रहे 5,879 स्कूल, अब इनके संचालन पर रोक, हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार ने किए नए नियम लागू
झारखंड सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद बड़ा कदम उठाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अब राज्य में कोई भी स्कूल बिना मान्यता के संचालित नहीं हो सकेगा। शिक्षा विभाग ने नियमावली में संशोधन कर अधिसूचना जारी कर दी है। इस फैसले से सीधे 5,879 स्कूल प्रभावित होंगे, जो फिलहाल बिना राज्य सरकार की मान्यता के चल रहे हैं। इन स्कूलों में 8,37,879 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं और 46,421 शिक्षक कार्यरत हैं। अब तक ये संस्थान मान्यता के अभाव में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे थे।
सरकार ने बदले नियम, लेनी होगी मान्यता
संशोधित नियमों के मुताबिक अब किसी भी स्कूल को बिना मान्यता संचालन की अनुमति नहीं मिलेगी। स्कूलों को पहले आवेदन करना होगा, जांच पूरी होने के बाद ही मान्यता मिलेगी। इसके लिए शिक्षा विभाग ने पोर्टल में बदलाव किया है। इस माह के अंत तक सभी जिलों में ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू होगी। विभाग ने साफ कहा है कि जो स्कूल आवेदन नहीं करेंगे, उनका संचालन प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
शिक्षा न्यायाधिकरण की रिपोर्ट के आधार पर फैसला
झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण और शिक्षा निदेशालय की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया था कि राज्य में बड़ी संख्या में निजी विद्यालय वर्षों से बिना मान्यता के चल रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि झारखंड में कुल 1,58,990 पंजीकृत विद्यालय हैं, जिनमें प्राथमिक स्तर के 24,34,228 छात्र पढ़ते हैं। इनमें से 8,37,879 विद्यार्थी और 46,421 शिक्षक बिना मान्यता वाले स्कूलों से जुड़े हैं। केंद्र सरकार ने भी पहले ही सभी राज्यों को पत्र लिखकर स्पष्ट किया था कि आरटीई एक्ट 2009 के तहत बिना मान्यता के किसी भी स्कूल को संचालन की इजाजत नहीं है। केंद्र ने समय सीमा तय करते हुए राज्यों को 31 मार्च 2025 तक ऐसे सभी स्कूलों को मान्यता दिलाने या फिर बंद करने का निर्देश दिया है।
स्कूलों की होगी जांच, फिर मिलेगी मान्यता
बिना मान्यता वाले स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अब तक सरकारी सुविधाएं, छात्रवृत्ति और शैक्षिक लाभ नहीं मिल रहे थे, जिससे उनका भविष्य अधर में लटक गया था। इसी चिंता को देखते हुए हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई और सरकार को त्वरित कदम उठाने का आदेश दिया। अब संशोधित नियमावली लागू होने के बाद जिले स्तर पर जांच होगी और तय मापदंड पूरे करने वाले स्कूलों को ही मान्यता दी जाएगी। इस प्रक्रिया से न केवल शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी, बल्कि लाखों बच्चों को भी लाभ मिलेगा। सरकार का यह फैसला शिक्षा के अधिकार कानून को मजबूत करेगा और निजी स्कूलों पर भी जवाबदेही तय करेगा।
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