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झारखंड के सरकारी स्कूलों में चल रहा पैरेंट्स-टीचर मीटिंग, शिक्षा सचिव ने अभिभावकों से किया संवाद

झारखंड के सरकारी स्कूलों में चल रहा पैरेंट्स-टीचर मीटिंग, शिक्षा सचिव ने अभिभावकों से किया संवाद

झारखंड में चल रही दूसरी अभिभावक-शिक्षक बैठक के सिलसिले में शुक्रवार को स्कूली शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह और शिक्षा परियोजना निदेशक शशि रंजन रांची के अलग-अलग स्कूलों में पहुंचे। शिक्षा सचिव रातु राज राजकीय मध्य विद्यालय, रातु में और निदेशक लालगुटवा, नगड़ी के विद्यालय में बैठक में शामिल हुए। दोनों अधिकारियों ने अभिभावकों से सीधे संवाद कर बच्चों की पढ़ाई, उपस्थिति और उनके विकास पर बातचीत की।

अनुपस्थिति से बढ़ती है अनुतीर्ण होने की संभावना

रातु राज विद्यालय में शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने कहा कि जो बच्चे नियमित स्कूल आते हैं, वही पढ़ाई में बेहतर करते हैं और दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। उन्होंने साफ कहा कि लगातार अनुपस्थित रहने वाले बच्चों के अनुतीर्ण होने की संभावना ज्यादा रहती है। इसलिए शिक्षक और अभिभावक मिलकर बच्चों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करें। सचिव ने जनप्रतिनिधियों से भी अपील की कि वे समय-समय पर स्कूल का दौरा करें और शिक्षा व्यवस्था की निगरानी करें। इस दौरान सचिव ने नियमित आने वाले और विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय बच्चों को सम्मानित भी किया।

स्कूल से मिलती है सामाजिक समझ

लालगुटवा, नगड़ी विद्यालय में शिक्षा परियोजना निदेशक शशि रंजन ने अभिभावकों को संदेश दिया कि वे अपने बच्चों को नियमित स्कूल भेजें। उन्होंने कहा कि अभिभावकों के सामने कई चुनौतियां होती हैं, लेकिन बच्चों की पढ़ाई किसी भी हाल में बाधित नहीं होनी चाहिए। निदेशक ने कहा कि स्कूल बच्चों की पहली संस्था है, यहीं से उनमें दोस्ती, सहयोग और सहभागिता की भावना विकसित होती है। उन्होंने बताया कि इस बार पीटीएम में 50 मिनट का सेशन वन-टू-वन बातचीत के लिए रखा गया, जिसमें शिक्षक और अभिभावक बच्चों की प्रगति पर सीधे चर्चा कर सकें। बैठक के बाद उन्होंने विद्यालय परिसर में पौधरोपण कर हरित वातावरण का संदेश दिया।

शिक्षा पर सामूहिक जिम्मेदारी

दोनों स्कूलों में हुई बैठकों में शिक्षा सचिव और निदेशक के अलावा शिक्षा परियोजना परिषद के पदाधिकारी, जिला शिक्षा अधीक्षक, यूनिसेफ सलाहकार, जिला परिषद अध्यक्ष और अन्य जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए। बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति और शिक्षा के अधिकार अधिनियम के महत्व पर चर्चा हुई। अधिकारियों ने जोर दिया कि अभिभावक और शिक्षक मिलकर बच्चों के सीखने की प्रक्रिया में सहयोग करें और लर्निंग गैप को कम करने की दिशा में काम करें।

सभी जिलों में टीम करेगी निगरानी

राज्य स्तर पर यह भी निर्णय लिया गया कि दूसरी अभिभावक-शिक्षक बैठक के सफल आयोजन और अनुश्रवण के लिए सभी 24 जिलों में विशेष टीमें भेजी जाएंगी। ये टीमें कम से कम दो बैठकों में शामिल होकर प्रत्यक्ष रूप से निरीक्षण करेंगी। अधिकारियों का कहना है कि इस पहल से अभिभावकों और शिक्षकों के बीच बेहतर तालमेल बनेगा और बच्चों की शिक्षा व्यवस्था मजबूत होगी।

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