राज्य में पहली बार शुरू हो रहा ‘डिप्लोमा इन प्री-स्कूल एजुकेशन’ कोर्स, गढ़वा में होगी पढ़ाई, JAC 50 सीटों में एडमिशन के लिए लेगा परीक्षा
झारखंड में अब डिप्लोमा इन प्री-स्कूल एजुकेशन (DPSE) की पढ़ाई भी शुरू होगी। इस दो वर्षीय फूलटाइम प्रोफेशनल कोर्स को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा में डिप्लोमा (DPECE) के नाम से भी जाना जाएगा। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (JCERT) द्वारा तैयार सिलेबस को मंजूरी दे दी है। यह डिप्लोमा कोर्स नर्सरी, केजी, बाल वाटिका व आंगनबाड़ी केंद्रों में शिक्षकों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है।
JAC को मिली परीक्षा की जिम्मेदारी, संबद्धता देगी निदेशालय
विभागीय सचिव उमाशंकर सिंह ने करिकुलम को स्वीकृति प्रदान करते हुए प्राथमिक शिक्षा निदेशक को निर्देश दिया है कि वह अधिसूचना जारी कर संस्थानों को संबद्धता प्रदान करें। साथ ही झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) को परीक्षा आयोजित करने संबंधी आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया है। परीक्षा प्राधिकारी के रूप में जैक को नामित किया गया है, जबकि संस्थानों को संबद्धता प्राथमिक शिक्षा निदेशालय देगा। पाठ्यक्रम में प्रवेश 12वीं कक्षा के बाद होगा तथा इसमें नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के तहत विभिन्न क्रेडिट भी शामिल होंगे।
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एनसीटीई से मान्यता अनिवार्य, एक संस्था को मिली पहले से मंजूरी
इस पाठ्यक्रम के संचालन के लिए किसी भी संस्थान को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) से मान्यता प्राप्त होना अनिवार्य होगा। झारखंड में फिलहाल केवल गढ़वा स्थित एक संस्थान को ही एनसीटीई की मान्यता प्राप्त है। अब इसे प्राथमिक शिक्षा निदेशालय से भी संबद्धता लेनी होगी। पाठ्यक्रम में एक संस्थान में अधिकतम 50 सीटों पर नामांकन की अनुमति होगी। JCERT के स्टेट रिसोर्स पर्सन मणिलाल साहू के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रारंभिक शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया है और इसी दिशा में यह पाठ्यक्रम तैयार किया गया है।
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अन्य संस्थानों के लिए भी खुलेगा रास्ता
निदेशालय द्वारा अधिसूचना जारी होते ही अन्य संस्थानों को भी इस पाठ्यक्रम को शुरू करने का अवसर मिलेगा। इसके साथ ही जेएसी पूरे राज्य में परीक्षा आयोजित करने में सक्षम होगा। यह कदम राज्य में प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस कोर्स के माध्यम से झारखंड में प्री-स्कूल और आंगनबाड़ी स्तर पर प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी को दूर किया जा सकेगा।
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