झारखंड हाईकोर्ट में प्राइवेट स्कूल चलाने को लेकर आया बड़ा फैसला, जमीन की अनिवार्यता को लेकर सरकार के आदेश पर रोक, मांगा जवाब
झारखंड हाईकोर्ट ने निजी स्कूल संचालकों को बड़ी राहत दी है। झारखंड निजी स्कूल एसोसिएशन सहित अन्य संचालकों की ओर से दाखिल पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें निजी स्कूल खोलने के लिए जमीन को अनिवार्य बताया गया था। अदालत ने कहा कि वर्ष 2019 से पहले संचालित हो रहे निजी स्कूलों पर फिलहाल यह प्रावधान लागू नहीं होगा। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस संबंध में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 18 नवंबर तय की है।
2019 की नियमावली पर उठे सवाल
शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में निजी स्कूलों के संचालन को लेकर नई नियमावली बनाई थी। इस नियमावली में यह शर्त रखी गई थी कि ग्रामीण क्षेत्रों में हाई स्कूल या मिडिल स्कूल खोलने के लिए कम से कम एक एकड़ और शहरी क्षेत्रों में 75 डिसमिल जमीन अनिवार्य होगी। वहीं, प्राथमिक स्कूल के लिए ग्रामीण क्षेत्र में 60 डिसमिल और शहरी क्षेत्र में 40 डिसमिल जमीन जरूरी बताई गई थी। इस प्रावधान के खिलाफ निजी स्कूल एसोसिएशन ने आपत्ति जताते हुए इसे अव्यावहारिक और शिक्षा विस्तार में बाधक बताया था।
पहले हाईकोर्ट ने माना था नियम वैध
इससे पहले, 2 नवंबर 2025 को झारखंड हाईकोर्ट ने निजी स्कूल संचालकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की नियमावली को सही ठहराया था। अदालत ने निजी स्कूल संचालकों को छह माह की अवधि में जमीन से संबंधित प्रावधानों का पालन करने का निर्देश दिया था। इसके खिलाफ निजी स्कूल एसोसिएशन ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसमें यह दलील दी गई कि पहले से संचालित स्कूलों पर इस नियम को लागू करना अनुचित है और इससे हजारों स्कूलों का संचालन संकट में पड़ जाएगा।
18 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
खंडपीठ ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के बाद 2019 से पहले से संचालित निजी स्कूलों पर इस नियम की अनिवार्यता को फिलहाल के लिए रोक दिया है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार अपने आदेश और नियमों के औचित्य पर विस्तृत जवाब दाखिल करे। अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी। अदालत के इस आदेश से झारखंड के सैकड़ों निजी स्कूलों और उनके संचालकों को फिलहाल बड़ी राहत मिली है।
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