झारखंड सहायक आचार्य नियुक्ति मामला: हाईकोर्ट ने JSSC पर पीड़क कार्रवाई पर लगाई रोक, 3 नवंबर को अगली सुनवाई
झारखंड हाईकोर्ट ने सहायक आचार्य नियुक्ति (कक्षा छह से आठ) मामले में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) के खिलाफ बड़ी राहत दी है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने एकल पीठ के नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द करने के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई की।
अदालत ने आयोग पर एकल पीठ में चल रहे अवमानना मामले में कोई भी पीड़क कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है। साथ ही अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है और प्रार्थियों से आवेदन की तिथि से संबंधित जानकारी भी प्रस्तुत करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 3 नवंबर को निर्धारित की गई है।
विज्ञापन में एक वर्षीय बीएड की योग्यता, चयन प्रक्रिया में बदलाव पर आपत्ति
JSSC की ओर से अधिवक्ताओं संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि सहायक आचार्य नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन में एक वर्षीय बीएड को ही शैक्षणिक योग्यता के रूप में रखा गया था। आयोग का तर्क है कि यदि दो वर्षीय बीएड धारकों को इस शर्त से आपत्ति थी, तो उन्हें विज्ञापन जारी होते ही इसे चुनौती देनी चाहिए थी। अब जबकि प्रमाणपत्रों का सत्यापन शुरू हो गया है, तब जाकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
आयोग ने यह भी बताया कि अदालत के आदेश के बाद इस प्रक्रिया में सीटेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को भी शामिल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में भी इस संशोधन के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विज्ञापन के बीच में कोई संशोधन नहीं किया जा सकता। इसी आधार पर जेएसएससी ने एकल पीठ के आदेश को अनुचित करार दिया है।
दो वर्षीय बीएड धारकों को बाहर करना गलत
इस मामले में याचिका विप्लव दत्ता सहित अन्य अभ्यर्थियों ने दायर की थी। याचिका में कहा गया कि वर्ष 2014 में एनसीटीई ने स्पष्ट रेगुलेशन जारी किया था, जिसके अनुसार बीएड कोर्स की अवधि दो वर्ष कर दी गई थी। इसके बाद देशभर के सभी एनसीटीई से संबद्ध संस्थानों, जिनमें रांची विश्वविद्यालय भी शामिल है, में दो वर्षीय बीएड कोर्स संचालित हो रहा है।
ऐसे में आयोग द्वारा दो वर्षीय बीएड धारकों को चयन प्रक्रिया से बाहर करना नियमों के विरुद्ध है। एकल पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि केवल न्यूनतम योग्यता के आधार पर इन अभ्यर्थियों को बाहर करना न्यायोचित नहीं है। अदालत ने निर्देश दिया कि वे सभी अभ्यर्थी जिन्होंने दो वर्षीय बीएड कोर्स किया है, उन्हें चयन प्रक्रिया में शामिल किया जाए।
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