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झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने 14 लाख छात्रों को लेकर लिया निर्णय, 8वीं, 9वीं और 11वीं की परीक्षा खुद लेगा, JCERT से वापस ली जिम्मेदारी

झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने 14 लाख छात्रों को लेकर लिया निर्णय, 8वीं, 9वीं और 11वीं की परीक्षा खुद लेगा, JCERT से वापस ली जिम्मेदारी

झारखंड की स्कूली शिक्षा व्यवस्था से जुड़ा बड़ा फैसला लिया गया है। झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) के चेयरमैन डॉ. नटवा हांसदा ने आपात बैठक बुलाई। बैठक में यह तय हुआ कि 8वीं, 9वीं और 11वीं की परीक्षाएं अब पहले की तरह JAC ही आयोजित करेगा। पहले वर्ष 2026 से इन तीनों कक्षाओं की परीक्षा झारखंड काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (JCERT) को सौंपने का प्रस्ताव था, लेकिन अब इस निर्णय को पलट दिया गया है।

बैठक में विधायक मथुरा महतो, नागेंद्र महतो, धनंजय सोरेन, सदस्य अली अरफात समेत सभी 19 सदस्यों ने एक स्वर में जैक द्वारा परीक्षा कराने के प्रस्ताव का समर्थन किया। सदस्यों का कहना था कि एक्ट के अनुसार इन परीक्षाओं का आयोजन करने का अधिकार केवल जैक को है। उसकी स्थापना का उद्देश्य ही राज्य में परीक्षाओं का संचालन सुनिश्चित करना रहा है।

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तीन क्लास के 14 लाख छात्रों को मिलेगी राहत

राज्य में इन तीनों कक्षाओं में करीब 14 लाख छात्र अध्ययनरत हैं, जो वर्ष 2026 में बोर्ड परीक्षा में शामिल होंगे। जब स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने यह घोषणा की थी कि अगली बार से 8वीं, 9वीं और 11वीं की परीक्षाएं जेसीईआरटी आयोजित करेगा, तो शिक्षकों और छात्र संगठनों में असंतोष फैल गया था।

विभाग ने उस समय यह तर्क दिया था कि जैक पर कार्य का अत्यधिक बोझ है। इन परीक्षाओं को जेसीईआरटी के हवाले करने से जैक मैट्रिक और इंटर की परीक्षा पर बेहतर ध्यान दे सकेगा। लेकिन शिक्षक संगठनों का कहना था कि यह निर्णय शिक्षा अधिनियम के विरुद्ध है। इससे परीक्षा व्यवस्था में अनावश्यक भ्रम की स्थिति उत्पन्न होगी। अब जैक द्वारा परीक्षा कराने के निर्णय से छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को राहत मिली है।

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विरोध के बाद पलटा गया निर्णय

जेसीईआरटी को परीक्षा की जिम्मेदारी देने के फैसले के बाद वित्त रहित शिक्षा संघर्ष मोर्चा ने खुला विरोध जताया था। मोर्चा के नेता रघुनाथ सिंह ने इसे नियम-विरुद्ध बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि एक्ट के तहत परीक्षा का अधिकार केवल जैक को है, इसलिए विभागीय निर्णय असंवैधानिक है।

ऐसे में जैक की बैठक में सभी सदस्यों ने यह स्वीकार किया कि परीक्षा आयोजन की प्रक्रिया और अधिकारिक ढांचा वही रहना चाहिए, जो अब तक लागू रहा है। इस निर्णय से न केवल शिक्षा व्यवस्था में स्थिरता आएगी बल्कि परीक्षाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता भी बरकरार रहेगी। जैक का यह फैसला अब राज्य के लाखों विद्यार्थियों के हित में माना जा रहा है।

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