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18 साल बाद झारखंड में होगी पात्रता परीक्षा, असिस्टेंट प्रोफेसर और पीएचडी के इच्छुक उम्मीदवार 16 सितंबर से करें ऑनलाइन आवेदन

झारखंड के विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने और पीएचडी रिसर्च करने की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने राज्य में झारखंड पात्रता परीक्षा (जेट) का आयोजन कराने की घोषणा की है। खास बात यह है कि यह परीक्षा 18 साल बाद होने जा रही है। सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रस्ताव पर आयोग ने इसे मंजूरी दी है।

16 सितंबर से शुरू होगा ऑनलाइन आवेदन

जेपीएससी ने इच्छुक और योग्य उम्मीदवारों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए हैं। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया 16 सितंबर से शुरू होगी और 6 अक्टूबर की रात 11:45 बजे तक चलेगी। परीक्षा फीस भुगतान की अंतिम तिथि 7 अक्टूबर तय की गई है। वहीं आवेदन में सुधार के लिए 8 से 10 अक्टूबर तक करेक्शन विंडो खुलेगी।

वह सब कुछ जो जानना जरूरी

ऑनलाइन आवेदन: 16 सितंबर से
अंतिम तिथि: 6 अक्टूबर रात 11:45 बजे तक
शुल्क भुगतान की अंतिम तिथि: 7 अक्टूबर तक
करेक्शन विंडो: 8 से 10 अक्टूबर तक

दो पेपर होंगे, कुल 300 अंक की परीक्षा

जेट परीक्षा में दो पेपर होंगे। पहला पेपर 100 अंकों का होगा, जिसमें 50 सवाल पूछे जाएंगे। इसमें रिसर्च एप्टीट्यूड, रीजनिंग एबिलिटी, रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन और जनरल अवेयरनेस से जुड़े प्रश्न होंगे। दूसरा पेपर 200 अंकों का होगा, जिसमें 100 सवाल होंगे और ये सवाल उम्मीदवार के चुने हुए विषय से संबंधित होंगे। परीक्षा की अवधि तीन घंटे तय की गई है। सभी सवाल एमसीक्यू आधारित होंगे।

शैक्षणिक योग्यता और चयन प्रक्रिया

सामान्य और ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से पीजी में न्यूनतम 55% अंक जरूरी है। वहीं बीसी-1, बीसी-2, एससी, एसटी और दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम 50% अंक अनिवार्य हैं। इस परीक्षा में शामिल होने के लिए कोई आयु सीमा नहीं है। किसी भी उम्र का अभ्यर्थी इसमें भाग ले सकता है। हालांकि चयन मात्र 6 प्रतिशत परीक्षार्थियों का ही होगा। परीक्षा कुल 43 विषयों के लिए आयोजित की जाएगी।

इतना देना होगा परीक्षा की फीस

सामान्य वर्ग: 575 रुपये
बीसी-1, बीसी-2 और ईडब्ल्यूएस: 300 रुपये
एससी, एसटी और थर्ड जेंडर: 150 रुपये

राज्य में खाली हैं 40% पद

सूत्रों के मुताबिक राज्य के विश्वविद्यालयों में फिलहाल असिस्टेंट प्रोफेसर के लगभग 40 प्रतिशत पद खाली हैं। इसका असर सीधे शैक्षणिक गतिविधियों पर पड़ रहा है। माना जा रहा है कि इसी कारण सरकार ने जेपीएससी को पात्रता परीक्षा आयोजित करने और नई नियुक्तियों की दिशा में कदम उठाने का निर्देश दिया है। बता दें कि जेट परीक्षा पहली बार 2007 में हुई थी। उस समय बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आई थीं। यहां तक कि आयोग से परीक्षा संबंधी कई रिकॉर्ड गायब मिले थे। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है। इसके बाद लंबे अंतराल तक परीक्षा नहीं हुई। 2018 में जेपीएससी ने असिस्टेंट प्रोफेसर की वैकेंसी जरूर निकाली थी, लेकिन पात्रता परीक्षा नहीं कराई गई थी।

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