हजारीबाग के 119 टीजीटी शिक्षकों की सेवा महज 2 साल में होगी संपुष्ट, रिकॉर्ड समय में काम पूरा करने का निर्देश
हजारीबाग जिले के राजकीय, राजकीयकृत, परियोजना और उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में कार्यरत स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों (टीजीटी) के लिए बड़ी खुशखबरी है। साल 2023 में नियुक्त 119 शिक्षकों की सेवा संपुष्टि की प्रक्रिया जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) कार्यालय से शुरू हो गई है।
डीईओ प्रवीन रंजन ने संबंधित विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को पत्र भेजकर सभी जरूरी दस्तावेज समय पर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। आमतौर पर सेवा संपुष्टि में 10 से 12 साल का समय लग जाता था। उदाहरण के लिए, 2010 में नियुक्त शिक्षकों की सेवा संपुष्टि 9 साल बाद हुई थी। लेकिन इस बार दो साल का प्रोबेशन पीरियड पूरा होते ही प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
दस्तावेजों में मिली खामियां
डीईओ कार्यालय में शिक्षकों की मूल सेवा पुस्तिका, गोपनीय चरित्र पुस्तिका, स्वच्छता रिपोर्ट और कार्यकलाप प्रतिवेदन जमा कराए गए हैं। जांच में कई दस्तावेजों में त्रुटियां सामने आई हैं। इसे ठीक कराने के लिए प्रधानाध्यापकों को पत्र भेजा गया है। निर्देश दिया गया है कि सात दिनों के भीतर संशोधित प्रस्ताव कार्यालय में उपलब्ध कराएं।
साथ ही, जिन शिक्षकों का नाम सूची से छूट गया है और उनका प्रोबेशन पीरियड पूरा हो चुका है, उनका प्रस्ताव भी अवश्य भेजा जाए। शिक्षा पदाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि समय पर दस्तावेज नहीं आने पर संबंधित शिक्षक की सेवा संपुष्टि प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
सेवा संपुष्टि से बढ़ेगी सुरक्षा
सेवा संपुष्टि शिक्षकों के लिए सुरक्षा कवच की तरह होती है। प्रोबेशन पीरियड में किसी भी आरोप की स्थिति में शिक्षक की सेवा समाप्त की जा सकती है और वे इसके खिलाफ अदालत नहीं जा पाते। लेकिन सेवा संपुष्टि के बाद शिक्षक उच्च न्यायालय तक अपील कर सकते हैं। इसके अलावा वे स्थानांतरण के लिए आवेदन दे सकते हैं।
बैंकों से गृह निर्माण, बच्चों की शिक्षा या अन्य कार्यों के लिए आसानी से ऋण ले सकते हैं। सेवा संपुष्टि पूरी होने के बाद शिक्षकों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है, जिससे वे निश्चिंत होकर अपने कार्य में मन लगा सकते हैं।
शिक्षक संघ ने किया स्वागत
झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ के सचिव रविंद्र चौधरी ने कहा कि हजारीबाग में सेवा संपुष्टि प्रक्रिया रिकॉर्ड समय में शुरू होना ऐतिहासिक कदम है। पहले शिक्षकों को वर्षों इंतजार करना पड़ता था, जिससे उनका उत्साह कम हो जाता था।
अब दो साल में ही प्रक्रिया पूरी होने से शिक्षकों का मनोबल बढ़ेगा और वे पूरे समर्पण के साथ छात्रों को पढ़ाने में जुटेंगे। जिले के शिक्षकों का मानना है कि यह पहल न केवल उनकी नौकरी को स्थिरता देगी, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता भी बेहतर करेगी।