लातेहार के 99.84 प्रतिशत फीसदी स्कूल हरे-भरे और साफ-सुथरे, Clean and Green School कार्यक्रम की रिपोर्ट, पलामू फिसड्डी
झारखंड के शिक्षा विभाग द्वारा जारी स्वच्छ एवं हरित विद्यालय कार्यक्रम की जिलावार रेटिंग में लातेहार जिले ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य में पहला स्थान प्राप्त किया है। केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय की इस पहल के तहत स्कूलों का मूल्यांकन जल संरक्षण, कचरा प्रबंधन और पौधारोपण जैसे बिंदुओं पर किया गया।
लातेहार के 99.84 प्रतिशत विद्यालयों ने निर्धारित लक्ष्य पूरा कर यह साबित कर दिया कि सामूहिक प्रयास से हर लक्ष्य संभव है। इस उपलब्धि के पीछे शिक्षकों, विद्यार्थियों और शिक्षा पदाधिकारियों का लगातार परिश्रम और जागरूकता है। वहीं पूर्वी सिंहभूम, कोडरमा, बोकारो, लोहरदगा और पश्चिमी सिंहभूम जैसे जिलों ने भी 50 प्रतिशत से अधिक लक्ष्य हासिल कर सराहनीय प्रदर्शन किया है।
पलामू फिसड्डी, गिरिडीह और देवघर में भी सुस्त प्रगति
जहां लातेहार जिले ने राज्य का नाम रोशन किया, वहीं पलामू जिले का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। पलामू में केवल 53.59 प्रतिशत स्कूलों ने ही स्वच्छता और हरियाली का लक्ष्य पूरा किया, जिससे यह जिला रेटिंग में सबसे नीचे आ गया है। गिरिडीह, साहिबगंज और देवघर जैसे जिले भी 70 प्रतिशत से कम प्रदर्शन करने वाले जिलों में शामिल हैं।
शिक्षा विभाग ने इन जिलों के पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने क्षेत्र के स्कूलों में विशेष अभियान चलाकर स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ाएं। विभाग ने यह भी पाया है कि कई स्कूलों ने अभी तक स्व-मूल्यांकन प्रक्रिया भी शुरू नहीं की है, जो चिंता का विषय है।
अक्टूबर तक लक्ष्य हासिल करने का सख्त आदेश जारी
शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी जिलों को निर्देश दिया है कि स्वच्छ एवं हरित विद्यालय कार्यक्रम का लक्ष्य अक्टूबर के अंत तक हर हाल में पूरा किया जाए। फिलहाल झारखंड के 80 प्रतिशत विद्यालयों ने यह कार्य पूरा कर लिया है, जबकि शेष 20 प्रतिशत स्कूलों को अब तेजी दिखानी होगी।
विभाग ने स्पष्ट कहा है कि यह केवल मूल्यांकन का कार्यक्रम नहीं, बल्कि स्कूलों को स्वच्छता, स्वस्थ आदतों और पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण बनाने की दिशा में कदम है। सभी जिला शिक्षा अधीक्षकों को आदेश दिया गया है कि वे नियमित निगरानी कर लक्ष्य की प्राप्ति सुनिश्चित करें।
बच्चों में जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन ही असली मकसद
इस योजना का मुख्य उद्देश्य बच्चों में स्वच्छता की आदतें और पर्यावरण संरक्षण की समझ विकसित करना है। स्कूलों को जल संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन, साबुन से हाथ धोना और पौधारोपण जैसे 60 से अधिक बिंदुओं पर परखा जा रहा है। शिक्षा विभाग ने कहा है कि इन गतिविधियों को स्कूलों की दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाना आवश्यक है। इससे न केवल स्कूल का वातावरण स्वच्छ होगा, बल्कि छात्र-छात्राओं में जिम्मेदारी की भावना भी बढ़ेगी।
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