CBSE बोर्ड परीक्षा की कॉपियां जांचने में AI की लेगा मदद, अगले साल से व्यवस्था होगी लागू
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) अब 2026 की बोर्ड परीक्षाओं में Artificial Intelligence (AI) आधारित मूल्यांकन और डिजिटल चेकिंग प्रणाली को बड़े पैमाने पर लागू करने जा रहा है। बोर्ड का उद्देश्य उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में सटीकता बढ़ाना और मानवीय त्रुटियों को कम करना है।
सीबीएसई ने पिछले सत्रों में एआई समर्थित उपकरणों और ऑनस्क्रीन मार्किंग की पायलट टेस्टिंग की थी, जिसके नतीजे संतोषजनक रहे। इसी सफलता के आधार पर बोर्ड आगामी परीक्षा सत्र से इस प्रणाली को और अधिक क्षेत्रीय केंद्रों तक विस्तारित करेगा। नई व्यवस्था के तहत अब शिक्षक भौतिक उत्तर पुस्तिकाओं की जगह स्कैन की गई कॉपियों को ऑनलाइन जांचेंगे। इससे मूल्यांकन प्रक्रिया अधिक त्वरित और एकरूप होगी।
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शिक्षकों को मिलेगा ऑनस्क्रीन मूल्यांकन का प्रशिक्षण
सीबीएसई ने दिल्ली के द्वारका स्थित अपने केंद्र पर डिजिटल मूल्यांकन और एआई आधारित तकनीकी सुविधा पहले ही स्थापित कर दी है, जहां प्रारंभिक परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए गए। बोर्ड की योजना के अनुसार, शिक्षकों को ऑनस्क्रीन मूल्यांकन के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसकी शुरुआत अगले वर्ष के प्रारंभ में होगी।
नई प्रणाली से जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता के साथ-साथ क्रॉस-चेकिंग और मॉडरेशन की गति भी बढ़ेगी। बोर्ड का कहना है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म से कॉपियों की सुरक्षा और डेटा विश्लेषण की सटीकता में उल्लेखनीय सुधार होगा, जिससे परीक्षा परिणामों की विश्वसनीयता मजबूत होगी।
एआई देगा सहयोग, पर शिक्षकों की भूमिका बनी रहेगी
सीबीएसई अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह प्रणाली शिक्षकों की भूमिका को समाप्त नहीं करेगी। उत्तर पुस्तिकाओं की जांच का कार्य शिक्षकों द्वारा ही किया जाएगा, जबकि एआई उपकरण केवल डेटा विश्लेषण, त्रुटि पहचान और मॉडरेशन सहयोग के लिए इस्तेमाल होंगे। बोर्ड का मानना है कि मानव और मशीन के मिश्रित मूल्यांकन मॉडल से प्रक्रिया न केवल तेज होगी बल्कि निष्पक्ष और पारदर्शी भी बनेगी।
बीते साल किया गया सीमित प्रयोग
उल्लेखनीय है कि 2024-25 सत्र में पहली बार एआई आधारित मूल्यांकन प्रणाली का सीमित प्रयोग किया गया था, जिसमें सैद्धांतिक और प्रायोगिक अंकों के अंतर का विश्लेषण किया गया। उस विश्लेषण से मिली रिपोर्ट ने बोर्ड को मूल्यांकन में तकनीक के व्यापक उपयोग के लिए प्रेरित किया। अब यह पहल सीबीएसई की परीक्षाओं को आधुनिक, निष्पक्ष और अधिक विश्वसनीय दिशा देने की ओर बड़ा कदम मानी जा रही है।
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