CBSE ने स्कूलों पर लगाई लगाम, अपनी मर्जी ने नहीं बढ़ा सकेंगे सेक्शन, बोर्ड करेगी जांच
सीबीएसई ने स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाते हुए कक्षा 1 से 12 तक के सेक्शन तय करने के नए नियम जारी किए हैं। अब किसी भी स्कूल में सेक्शन की संख्या उसके कुल बिल्ट-अप एरिया के आधार पर होगी। पहले जहां छात्र संख्या बढ़ते ही स्कूल अपनी मर्जी से सेक्शन बढ़ा लेते थे, वहीं अब हर तीन अतिरिक्त सेक्शन के लिए 400 वर्ग मीटर अतिरिक्त कार्पेट एरिया होना अनिवार्य कर दिया गया है। इसका मकसद विद्यार्थियों को पर्याप्त जगह उपलब्ध कराना है। छोटे स्कूलों को इस नियम के तहत अपने भवन का क्षेत्र बढ़ाना होगा, जबकि बड़े स्कूलों को मौजूदा ढांचे को और मजबूत करना पड़ेगा।
लाइब्रेरी और लैबोरेटरी होना अनिवार्य
नई गाइडलाइन में यह भी साफ किया गया है कि हर स्कूल में 112 वर्ग मीटर का पुस्तकालय होना जरूरी है। इसका उद्देश्य छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ किताबों के जरिए नई जानकारी हासिल करने का मौका देना है। इसके अलावा कक्षा 6 से 10 तक के लिए विज्ञान, गणित और कंप्यूटर की प्रयोगशालाएं अनिवार्य कर दी गई हैं। वहीं, 11वीं और 12वीं के छात्रों के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी की अलग-अलग लैब होनी चाहिए। सीबीएसई का कहना है कि प्रायोगिक ज्ञान से छात्रों की सीखने की क्षमता और मजबूत होती है, इसलिए प्रयोगशालाओं की व्यवस्था हर हाल में करनी होगी।
बच्चों के स्वास्थ्य और गतिविधियों पर जोर
गाइडलाइन के मुताबिक, हर स्कूल में 48 वर्ग मीटर का वेलनेस रूम होना चाहिए ताकि छात्रों के स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों का ख्याल रखा जा सके। साथ ही, कला, संगीत, खेल और अन्य सहगामी गतिविधियों के लिए 216 वर्ग मीटर का एक बड़ा हॉल या फिर चार अलग-अलग कमरे होना अनिवार्य किया गया है। इससे छात्रों को पढ़ाई के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी अपनी प्रतिभा निखारने का अवसर मिलेगा। सीबीएसई का मानना है कि समग्र शिक्षा व्यवस्था में खेल और सांस्कृतिक गतिविधियां भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं।
निरीक्षण करेगी सीबीएसई टीम
नई गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित कराने के लिए सीबीएसई की विशेष टीम स्कूलों का निरीक्षण करेगी। खासतौर पर नए खुले स्कूलों को अपने ढांचे को इन मानकों के अनुसार अपग्रेड करना होगा। हालांकि जमशेदपुर समेत देशभर के बड़े स्कूलों में ज्यादातर सुविधाएं पहले से मौजूद हैं, लेकिन कई नए और छोटे स्कूलों में इनकी कमी पाई जाती है। ऐसे में अब उन्हें तय मानकों पर खरा उतरना ही होगा। सीबीएसई का कहना है कि यह कदम छात्रों को बेहतर माहौल और स्टूडेंट फ्रेंडली इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उठाया गया है।