बोकारो में खुलेगा बिहार-झारखंड का पहला दिव्यांग कॉलेज, 3 दिसंबर को सेक्टर 5 के आशा लता केंद्र में होगी शुरुआत
झारखंड की इस्पात नगरी बोकारो अब शिक्षा के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक कदम उठाने जा रही है। सेक्टर-5 स्थित आशा लता केंद्र में 3 दिसंबर को बिहार और झारखंड का पहला दिव्यांग कॉलेज शुरू होने जा रहा है। यह कॉलेज विशेष रूप से दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा का मार्ग प्रशस्त करेगा और उनके सपनों को साकार करने में मददगार साबित होगा।
पहले चरण में होगी आर्ट्स और कॉमर्स की पढ़ाई
कॉलेज के पहले चरण में आर्ट्स और कॉमर्स की पढ़ाई शुरू की जाएगी। बोकारो के उपायुक्त अजय नाथ झा ने बताया कि जिला प्रशासन इस संस्थान को हर संभव सहयोग देगा। उन्होंने कहा कि इस कॉलेज की अवधारणा राज्यपाल के रूप में वर्तमान राष्ट्रपति के सामने रखी गई थी, जिसे उच्च शिक्षा के रूप में मान्यता देने की बात हुई थी।
हालांकि जमीन और प्रशासनिक कारणों से यह योजना कुछ समय तक रुकी रही, लेकिन अब इसे साकार करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। उपायुक्त ने कहा कि वह बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) से जमीन और प्रमाणन के लिए बातचीत करेंगे तथा यूजीसी और उच्च शिक्षा विभाग से मान्यता की प्रक्रिया भी पूरी की जाएगी।
दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए नई शुरुआत
आशा लता विकलांग केंद्र के संस्थापक निदेशक बीएस जायसवाल ने बताया कि केंद्र के कई छात्र पहले ही एसबीआई, रेलवे और अन्य सरकारी विभागों में कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि अब तक कई दिव्यांग विद्यार्थी दसवीं के बाद उच्च शिक्षा के अवसरों से वंचित रह जाते थे क्योंकि उन्हें उचित मार्गदर्शन और सुविधाएं नहीं मिल पाती थीं। इस कमी को दूर करने के लिए यह कॉलेज खोला जा रहा है, ताकि कोई भी दिव्यांग विद्यार्थी अपनी पढ़ाई बीच में न छोड़े। उन्होंने कहा कि यह कॉलेज न सिर्फ शिक्षा देगा, बल्कि विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद करेगा। उन्होंने इसे दिव्यांगों के सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल बताया।
तैयारियां पूरी, सरकार के सहयोग पर नजर
आशा लता विकलांग स्कूल के प्राचार्य ने बताया कि कॉलेज की घोषणा के बाद से छात्रों और अभिभावकों में जबरदस्त उत्साह है। पूरी तरह से दान आधारित यह संस्थान दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आया है। कॉलेज में सुसज्जित प्रयोगशाला, पुस्तकालय और योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की जा चुकी है।
अब इस अनूठी पहल की सफलता सरकार के सहयोग पर निर्भर करेगी। जिला प्रशासन और बोकारो स्टील प्लांट से आवश्यक सहायता मिलने के बाद यह कॉलेज पूरे क्षेत्र के लिए मिसाल बन सकता है।
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