BBMKU धनबाद में बड़ा बदलाव, अब स्नातक के किसी सेमेस्टर में पढ़ाई कर निकल सकते हैं वापस, मिलेगी डिग्री, 6 नवंबर तक मौका
बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय (बीबीएमकेयू) ने चार वर्षीय स्नातक कोर्स के छात्रों के लिए बीच में पढ़ाई छोड़ने यानी एग्जिट योजना का रोडमैप जारी कर दिया है। विवि के एडमिशन सेल की ओर से एग्जिट करने के इच्छुक छात्रों के लिए विशेष आवेदन फॉर्म जारी किया गया है। यह फॉर्म 6 नवंबर तक भरा जा सकेगा।
आवेदन के साथ छात्रों को कॉलेज का नाम, विभाग, रोल नंबर, रजिस्ट्रेशन नंबर, नाम और एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) आइडी देना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, प्रत्येक सेमेस्टर की मार्कशीट की प्रति भी संलग्न करनी होगी।
विवि प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि केवल उन्हीं छात्रों का आवेदन स्वीकार किया जाएगा जिनके पास किसी भी प्रकार का बैकलॉग नहीं होगा। आवेदन फॉर्म जमा करने के बाद संबंधित विभागाध्यक्ष और कॉलेज प्राचार्य द्वारा इसका सत्यापन किया जाएगा।
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क्रेडिट आधारित मूल्यांकन के तहत तय होंगे सर्टिफिकेट और डिग्री
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) के अनुरूप, बीबीएमकेयू ने चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लागू किया है। इसके तहत, यदि कोई छात्र एक वर्ष (दो सेमेस्टर) के बाद कोर्स छोड़ता है तो उसे 40 क्रेडिट के आधार पर सर्टिफिकेट मिलेगा। दो वर्ष (चार सेमेस्टर) की पढ़ाई पूरी करने पर 80 क्रेडिट के आधार पर डिप्लोमा प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा।
वहीं, तीन वर्ष (छह सेमेस्टर) के बाद कोर्स छोड़ने वालों को 120 क्रेडिट पर स्नातक की डिग्री दी जाएगी। जो छात्र पूरा चार वर्षीय कोर्स (आठ सेमेस्टर) पूरा करेंगे, उन्हें ऑनर्स या रिसर्च डिग्री का प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा। विवि प्रशासन ने इसे छात्रों के लिए लचीला विकल्प बताया है, ताकि कोई भी छात्र किसी कारणवश पढ़ाई बीच में छोड़ने पर भी अपनी शैक्षणिक प्रगति को व्यर्थ न जाने दे।
15 नवंबर तक पीजी में एडमिशन की होगी शुरुआत
विवि प्रशासन ने कहा है कि पीजी (सत्र 2025-27) में नामांकन प्रक्रिया, स्नातक एग्जिट आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रारंभ की जाएगी। अनुमान है कि यह प्रक्रिया 15 नवंबर तक शुरू हो जाएगी। विश्वविद्यालय का कहना है कि दोनों प्रक्रियाएं समानांतर रूप से न चलें, ताकि छात्रों को किसी भी प्रकार की तकनीकी या प्रशासनिक परेशानी का सामना न करना पड़े। अधिकारियों के अनुसार, इस कदम से विश्वविद्यालय में पारदर्शिता बढ़ेगी और छात्रों को उच्च शिक्षा के अगले चरण में सहज रूप से प्रवेश करने में मदद मिलेगी।
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