एनआईटी जमशेदपुर के रिसर्चर मुमताज रिजवी ने की बड़ी खोज, हल्के और मजबूत कृत्रिम पैर से बदलेगा इलाज का तरीका
एनआईटी जमशेदपुर के रिसर्चर मुमताज रिजवी ने अपने पीएचडी रिसर्च प्रोजेक्ट में ऐसा फार्मूला खोज निकाला है, जिससे हड्डियों को जोड़ने वाले ऑर्थोपेडिक इंप्लांट और कृत्रिम पैर (प्रोस्थेटिक) पहले के मुकाबले ज्यादा हल्के, मजबूत और लंबे समय तक टिकाऊ बनाए जा सकेंगे। यह शोध मेडिकल साइंस के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
रिजवी के मुताबिक, वर्तमान में बाजार में मिलने वाले कृत्रिम पैर और इंप्लांट भारी होने के कारण मरीजों को असुविधा होती है। इनकी उम्र भी सीमित होती है। लेकिन उनके द्वारा विकसित नया एलॉय मरीजों के शरीर के साथ अधिक अनुकूल होगा, जिससे उन्हें न केवल आराम मिलेगा बल्कि उपचार का खर्च भी कम होगा।
आईआईटी दिल्ली से मिली रिसर्च को मंजूरी
मुमताज रिजवी का यह शोध एनआईटी जमशेदपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दीपक कुमार के निर्देशन में पूरा किया गया। इस प्रोजेक्ट का मूल्यांकन आईआईटी दिल्ली के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर पलक मोहन पांडे ने किया और इसे औपचारिक रूप से स्वीकृति प्रदान की।
संस्थान ने रिजवी की इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह शोध भविष्य में मेडिकल उपकरण निर्माण के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
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पोलीलैक्टिक एसिड और टाइटेनियम से बना नया एलॉय
रिजवी ने अपने शोध में पोलीलैक्टिक एसिड (PLA) और टाइटेनियम को मिलाकर एक नया एलॉय फार्मूला तैयार किया है। टाइटेनियम अपनी मजबूती और जैविक अनुकूलता के लिए प्रसिद्ध है, जबकि पोलीलैक्टिक एसिड इसे हल्का बनाता है। दोनों को मिलाकर तैयार यह पदार्थ न केवल अधिक टिकाऊ होगा, बल्कि संक्रमण के खतरे को भी कम करेगा।
रिजवी ने बताया कि उनकी यह खोज भविष्य में प्रोस्थेटिक एवं ऑर्थोपेडिक उपकरणों की गुणवत्ता और सुलभता दोनों को बेहतर बनाएगी। उन्होंने कहा कि यदि इस तकनीक को बड़े स्तर पर उत्पादन में लाया गया, तो यह लाखों मरीजों के जीवन में नई उम्मीद लेकर आएगी।
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