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झारखंड के 49 शैक्षणिक संस्थानों के अनुदान पर संकट, 81 स्कूलों को मिली स्वीकृति, यहां जाने पूरा मामला…

झारखंड के 49 शैक्षणिक संस्थानों के अनुदान पर संकट, 81 स्कूलों को मिली स्वीकृति, यहां जाने पूरा मामला…

वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए जिन वित्त रहित इंटर कालेजों, माध्यमिक विद्यालयों, संस्कृत विद्यालयों और मदरसों को अनुदान नहीं मिला था, उनमें से 140 संस्थानों ने विभागीय समिति के समक्ष अपील की थी। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव उमाशंकर सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई।

जिसमें सभी अपील आवेदन और अनुदान के लिए प्रस्तुत दस्तावेजों की गहन जांच की गई। इसके बाद समिति ने 81 संस्थानों को बकाया अनुदान देने की स्वीकृति दी, जबकि 49 संस्थानों की अपील विभिन्न कारणों से अस्वीकृत कर दी गई। अधिकांश मामलों में अपील अस्वीकृत होने का कारण शासी निकाय का गठन न होना और आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध न कराना बताया गया।

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54 माध्यमिक विद्यालय और इंटर कॉलेजों को स्वीकृति

88 माध्यमिक विद्यालयों के प्रबंधन ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अपील आवेदन जमा किए थे। इनमें से 54 के आवेदन स्वीकृत हुए, जबकि 31 अपील अस्वीकृत हो गई। तीन अपील पर निर्णय स्थगित रखा गया है। इसी तरह, 42 इंटर कालेजों ने अपील की थी, जिनमें से 20 की अपील स्वीकृत हुई और चार पर निर्णय स्थगित रखा गया।

चार संस्कृत विद्यालयों में तीन के आवेदन सही पाए गए, जबकि पलामू के एक संस्कृत विद्यालय के मामले में डीसी से रिपोर्ट मांगी गई है। छह मदरसों ने अपील आवेदन जमा किए थे, जिनमें चार के स्वीकृत हुए और दो के मामलों में उपायुक्त से रिपोर्ट लेने का निर्णय लिया गया।

उपायुक्त की रिपोर्ट पर अनुदान का निर्णय

विभाग ने स्पष्ट किया कि 10 संस्थानों के मामलों में अपील पर निर्णय लंबित रखा गया है। इन सभी मामलों में संबंधित जिलों के उपायुक्त को गैर शिक्षा सेवा पदाधिकारियों के माध्यम से जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।

रिपोर्ट मिलने के बाद ही उन संस्थानों को अनुदान देने का निर्णय लिया जाएगा। विभाग ने यह भी कहा कि यदि अनुदान राशि 75 प्रतिशत नहीं बढ़ाई जाती है, तो संबंधित संस्थान वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आवेदन नहीं करेंगे।

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वित्त रहित संस्थाओं की नाराजगी

वित्त रहित शिक्षा संघर्ष मोर्चा ने रांची में बैठक कर इस मुद्दे पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने महंगाई को देखते हुए आठवां वेतनमान लागू किया है, लेकिन वित्त रहित संस्थाओं को पिछले 10 वर्षों में अनुदान में कोई वृद्धि नहीं मिली।

साथ ही, इस वर्ष वित्त रहित संस्थाओं में पढ़ने वाली बालिकाओं को सावित्रीबाई फुले बालिका समृद्धि योजना का लाभ नहीं मिल रहा है और पोर्टल तक खुल नहीं रहा। यदि राज्य सरकार ने समय पर कार्रवाई नहीं की, तो 195 अनुदानित इंटर कालेज, 305 उच्च विद्यालय, 47 मदरसा और 40 संस्कृत विद्यालय अगले वर्ष के लिए आवेदन नहीं करेंगे।

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