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आईआईएम रांची में हुआ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की 117वीं जयंती का आयोजन, ‘रश्मिरथी’ का हुआ पाठ

आईआईएम रांची में हुआ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की 117वीं जयंती का आयोजन, ‘रश्मिरथी’ का हुआ पाठ

भारतीय प्रबंध संस्थान (IIM) रांची में हिंदी पखवाड़ा 2025 के अंतर्गत राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की 117वीं जयंती समारोहपूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर उनकी कालजयी कृति ‘रश्मिरथी’ के प्रसिद्ध खंड “कृष्ण की चेतावनी” का सस्वर पाठ और विश्लेषण हुआ। गोस्सनर कॉलेज, रांची के हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रशांत गौरव ने मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत की। इस खंड के माध्यम से दिनकर की काव्य चेतना, न्याय और कर्तव्य-बोध को श्रोताओं के सामने अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।

दिनकर साहित्य की आज के संदर्भ में प्रासंगिकता

डॉ. गौरव ने कहा कि दिनकर की यह कविता न केवल महाभारत के संघर्ष को उजागर करती है, बल्कि आधुनिक समय में भी नैतिकता और समाजिक जिम्मेदारी की दृष्टि से अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने दिनकर की रचनाओं में मौजूद ओज, शौर्य और राष्ट्रीय चेतना के तत्वों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस प्रकार उनके साहित्य ने स्वतंत्रता संग्राम के समय देशवासियों में जोश और आत्मबल का संचार किया। आज भी समाज को जागरूक करने का कार्य कर रही हैं।

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कविताओं, निबंधों और विचारों पर हुआ विमर्श

कार्यक्रम में दिनकर की अन्य कविताओं, निबंधों और विचारधारा पर भी संवाद हुआ। कार्यक्रम समन्वयक प्रो. सत्यम् ने दिनकर के जीवन-संघर्ष और साहित्यिक अभिव्यक्ति को आज की सामाजिक चुनौतियों से जोड़ते हुए उनकी कविताओं को समय के लिए प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि दिनकर केवल कवि नहीं, बल्कि जनचेतना के वाहक थे, जिन्होंने कविता को सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बनाया।

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अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर किया सम्मानित

समापन सत्र में डीन (कार्यकारी शिक्षा एवं परामर्श) प्रो. अमित सचान ने डॉ. प्रशांत गौरव को अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। प्रो. सचान ने कहा कि हिंदी पखवाड़ा न केवल भाषा के विकास का माध्यम है, बल्कि यह सांस्कृतिक चेतना और साहित्यिक मूल्यों के संवर्धन का भी अवसर प्रदान करता है। कार्यक्रम में आईआईएम रांची के शिक्षकगण, छात्र-छात्राएं और कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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