IIM रांची में शिक्षकों की ट्रेनिंग का पांचवां बैच शुरू, देशभर से 44 प्रतिभागी कर रहे हैं शिरकत
भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) रांची में मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम के पांचवें बैच की शुरुआत हुई। यह कार्यक्रम ‘भविष्य के नेतृत्व कार्यक्रम का पोषण’ (एनएफएलपी) के तहत आयोजित किया जा रहा है। इसमें देशभर से आए कुल 44 प्रतिभागी शामिल हुए हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मार्गदर्शन में चल रहे इस पांच दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण सत्र का उद्देश्य शिक्षकों को नेतृत्व कौशल से समृद्ध करना और उच्च शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण सुधार सुनिश्चित करना है।
निदेशक ने बताई शिक्षा की सफलता की कुंजी
उद्घाटन सत्र में आईआईएम रांची के निदेशक प्रो. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा की सफलता का मूल आपसी सहयोग और साझा सीखने की भावना है। उन्होंने सीखने की प्रक्रिया को तीन चरणों में विभाजित करते हुए कहा कि पहला चरण है विषय की गहन तलाश, दूसरा है नए विचारों को प्रकट करने की कला, और तीसरा है निरंतर शोध के माध्यम से समाज को सशक्त बनाना। प्रो. श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे इस प्रशिक्षण से मिले अनुभवों को अपने संस्थानों में भी साझा करें, ताकि शिक्षा का दायरा और व्यापक हो सके।
नेतृत्व और नीति पर होगा जोर
कार्यक्रम निदेशक प्रो. मनीष बंसल ने बताया कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य हर प्रतिभागी को नेतृत्वकर्ता के रूप में तैयार करना है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के शुरुआती चरण की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि शिक्षक केवल कक्षा तक सीमित नहीं रहते, बल्कि वे संस्थागत शासन, शैक्षणिक नेतृत्व और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को भी दिशा देते हैं। प्रतिभागियों को अपनी नेतृत्व क्षमता का उपयोग अन्य संकाय सदस्यों को सशक्त बनाने और संस्थानों को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया गया। इस दौरान उन्हें अकादमिक नेतृत्व और शिक्षा की बदलती जरूरतों के अनुरूप खुद को ढालने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाएगा।
30 घंटे के सत्र में विविध विषयों पर होगी चर्चा
पांच दिवसीय इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागी 30 घंटे का सत्र पूरा करेंगे। इसमें आत्म-जागरूकता, संस्थागत रणनीति, शासन, वित्त, अनुसंधान उत्कृष्टता, सामाजिक प्रभाव, नवाचार और संचार से जुड़े विषयों पर विस्तृत जानकारी दी जाएगी। प्रशिक्षण का मकसद शिक्षकों को न केवल शिक्षण की पारंपरिक पद्धति तक सीमित रखना है, बल्कि उन्हें भविष्य के शैक्षणिक और सामाजिक नेतृत्व के लिए तैयार करना भी है। आईआईएम रांची का मानना है कि ऐसे कार्यक्रम शिक्षा जगत में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होंगे और देश को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।