रांची विश्वविद्यालय से नहीं कर सकेंगे LLM, लीगल स्टडी सेंटर में नहीं हो रहा एडमिशन
रांची विश्वविद्यालय के लीगल स्टडीज विभाग में नए सत्र 2025-27 के लिए एलएलएम में दाखिला नहीं लिया जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि फिलहाल इस कोर्स को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। नतीजा यह हुआ कि जिन छात्रों ने लॉ की पढ़ाई पूरी कर उच्च शिक्षा के लिए एलएलएम में दाखिला लेने की तैयारी की थी, उनके सपनों पर पानी फिर गया। विद्यार्थियों का कहना है कि समय पर सूचना नहीं मिलने से वे अन्य विश्वविद्यालयों में भी आवेदन नहीं कर पाए।
छात्र परेशान, भविष्य को लेकर दुविधा
एलएलएम में दाखिला नहीं होने से छात्रों में भारी असंतोष है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की उदासीनता उनके भविष्य पर असर डाल रही है। कई छात्र तो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के साथ एलएलएम करना चाहते थे, लेकिन अब स्थिति धुंधली हो गई है। रांची विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के सचिव, प्रो. पुरूषण शाह ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन को स्पष्ट निर्णय लेना चाहिए ताकि छात्रों को सही दिशा मिल सके। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के अवसरों को सीमित करना छात्रों के हित में नहीं है।
रांची विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के सचिव, प्रो. पुरूषण शाह ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन को स्पष्ट निर्णय लेना चाहिए ताकि छात्रों को सही दिशा मिल सके। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के अवसरों को सीमित करना छात्रों के हित में नहीं है।
नई शिक्षा नीति का असर, कई कोर्स पर संशय
जानकारों का कहना है कि नई शिक्षा नीति में एलएलएम को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। नीति में लॉ और मेडिकल की पढ़ाई को विशेष रूप से अलग किया गया है। इसके कारण कई विश्वविद्यालयों ने एलएलएम में दाखिले पर रोक लगा दी है। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि उच्च शिक्षा के नए स्वरूप में लॉ शिक्षा को अन्य पेशेवर कोर्स की तरह ही जोड़ा जाएगा। लेकिन जब तक अंतिम निर्णय नहीं आता, तब तक छात्रों को असमंजस का सामना करना पड़ेगा।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के नाम पर कटौती
विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोर्स की समीक्षा की जा रही है। फिलहाल, 30 साल पुराने पाठ्यक्रम को हटाकर नया पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में समय लग रहा है, जिसके चलते दाखिले अटक गए हैं। छात्रों का कहना है कि यदि प्रशासन पहले ही स्पष्ट सूचना देता तो वे अन्य संस्थानों का रुख कर सकते थे। अब दाखिले का सही रास्ता कब खुलेगा, यह कहना मुश्किल है। छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से जल्द से जल्द समाधान की मांग की है।