
राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (NUSRL), रांची की स्थापना वर्ष 2010 में झारखंड विधानसभा अधिनियम (अधिनियम संख्या-4, 2010) के तहत हुई थी। यह देश का 14वां राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय है। इसे सितंबर 2011 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से मान्यता मिली। झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इसके कुलाधिपति (चांसलर) होते हैं। वर्तमान में डॉ. अशोक रामप्पा पाटिल विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। कम समय में ही इसने पूर्वी भारत में कानूनी शिक्षा का बड़ा केंद्र बनने की पहचान बना ली है।
पाठ्यक्रम और पढ़ाई का ढांचा
विश्वविद्यालय पांच वर्षीय एकीकृत B.A. LL.B. (Hons.) कोर्स संचालित करता है। इसमें पहले दो वर्षों तक छात्रों को अंग्रेजी, राजनीतिक विज्ञान, दर्शन, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान और विधि का आधारभूत ज्ञान दिया जाता है। अगले तीन सालों में उन्हें कानून की गहराई से पढ़ाई कराई जाती है। इसके अलावा एक वर्षीय LL.M और दो वर्षीय Ph.D. प्रोग्राम भी यहां उपलब्ध हैं। छात्रों को कॉर्पोरेट लॉ, बौद्धिक संपदा अधिकार, संवैधानिक विधि और आपराधिक विधि जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करने का विकल्प भी मिलता है।
फीस और छात्रवृत्ति
संस्थान के वेबसाइट और अन्य मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक B.A. LL.B. (Hons.) कोर्स की ट्यूशन फीस करीब 5.5 लाख रुपये है। इसमें हॉस्टल और अन्य शुल्क जोड़कर कुल खर्च 8 से 10 लाख रुपये तक पहुंचता है। विश्वविद्यालय मेधावी छात्रों, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और अल्पसंख्यक छात्रों के लिए छात्रवृत्ति भी उपलब्ध कराता है। इससे पढ़ाई के इच्छुक छात्रों को आर्थिक सहयोग मिलता है और वे उच्च शिक्षा से जुड़ पाते हैं।
परिसर और सुविधाएं
विश्वविद्यालय का कैंपस 63 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला है। इसमें छात्र और छात्राओं के लिए अलग-अलग सुरक्षित हॉस्टल की व्यवस्था है। कैंपस में वाई-फाई, भोजनालय, चिकित्सा सुविधा, जिम, खेल मैदान, सभागार, कैफेटेरिया और आधुनिक आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद हैं। विश्वविद्यालय का पुस्तकालय काफी समृद्ध है, जिसमें विधि से जुड़ी हजारों किताबें, जर्नल्स और ऑनलाइन डेटाबेस जैसे Manupatra, HeinOnline, WestLaw India, JSTOR और SCC OnLine तक पहुंच की सुविधा उपलब्ध है।
शोध और व्यावहारिक प्रशिक्षण
NUSRL में छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण देने के लिए Moot Court Committee 2011 से सक्रिय है। यह राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं का आयोजन करती है। वहीं, CLAP (Legal Aid Programme) के तहत छात्र ग्रामीण और वंचित वर्गों को मुफ्त कानूनी मदद देते हैं। इसके अलावा, CSRIPR (Centre for Study and Research in Intellectual Property Rights) भी यहां कार्यरत है, जिसका उद्देश्य बौद्धिक संपदा अधिकारों पर शोध और जागरूकता फैलाना है। इन गतिविधियों के जरिए छात्र सिर्फ कानूनी पढ़ाई तक सीमित नहीं रहते, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी निभाते हैं।