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JPSC ने प्रोफेसर्स के प्रमोशन के बदले नियम, 175 में से 100 एपीआई स्कोर जरूरी

JPSC ने प्रोफेसर्स के प्रमोशन के बदले नियम, 175 में से 100 एपीआई स्कोर जरूरी

झारखंड के विश्वविद्यालय शिक्षकों के लिए प्रोन्नति प्रक्रिया अब और सख्त हो गई है। झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने सभी विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर स्पष्ट किया है कि एसोसिएट प्रोफेसर (स्टेज-4) से प्रोफेसर (स्टेज-5) की पदोन्नति चाहने वाले शिक्षकों को हर साल का एपीआई स्कोर और उससे संबंधित कागजात अनिवार्य रूप से जमा करना होगा। यह प्रक्रिया 8 सितंबर 2025 तक पूरी करनी होगी।

175 में से 100 एपीआई स्कोर जरूरी

आयोग ने साफ कर दिया है कि कुल 175 अंकों में से शिक्षकों को कम से कम 100 एपीआई स्कोर लाना अनिवार्य होगा। यह स्कोर दो अलग-अलग श्रेणियों से जुड़ेगा। पहली श्रेणी में कक्षा शिक्षण और उससे जुड़ी गतिविधियां शामिल हैं, जबकि दूसरी श्रेणी में सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक सहयोगात्मक कार्य गिने जाएंगे।

कक्षा शिक्षण से अधिकतम 50 अंक

यूजीसी मापदंड के अनुसार, क्लासरूम टीचिंग, सेमिनार और लेक्चर के लिए प्रति वर्ष अधिकतम 50 अंक निर्धारित हैं। इसके अलावा अन्य शिक्षण कार्यों जैसे अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराना, सिलेबस के अनुरूप पढ़ाई कराना और शिक्षण की तैयारी पर 20 अंक मिलेंगे। पीपीटी, फील्ड स्टडी, बोर्ड ऑफ स्टडीज आदि में सक्रियता के लिए 20 अंक तथा परीक्षा कार्य, मूल्यांकन और प्रश्न पत्र निर्माण जैसे कार्यों के लिए 25 अंक जोड़े जाएंगे। इस श्रेणी में कुल 125 में से कम से कम 75 अंक जरूरी हैं।

सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यों से मिलेंगे 50 अंक

दूसरी श्रेणी में शिक्षकों की भागीदारी को भी महत्व दिया गया है। एनएसएस, एनसीसी, सांस्कृतिक गतिविधि, खेलकूद और प्रशासनिक कार्यों में योगदान के लिए अधिकतम 20 अंक निर्धारित हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालय या विभागीय कमेटी में शामिल होने पर 15 अंक और आलेख प्रकाशन, किसी संगठन की सदस्यता या आकाशवाणी व कम्युनिटी रेडियो पर प्रसारण के लिए 15 अंक तय किए गए हैं। इस श्रेणी में न्यूनतम 15 अंक अनिवार्य हैं।

दस्तावेज जुटाना चुनौती

नए नियमों के बाद शिक्षकों को अब हर साल का रिकॉर्ड सुरक्षित रखना होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि पदोन्नति सिर्फ वही शिक्षक पाएंगे जिन्होंने वास्तव में शिक्षण और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों में योगदान दिया है। विश्वविद्यालयों के लिए अब चुनौती यह है कि वे समय पर सभी दस्तावेज एकत्र कर आयोग को भेजें, ताकि शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया अटक न जाए।

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