Education Jharkhand

Edu Jharkhand Header
Breaking News
Top News
झारखंड के डिग्री कॉलेज इंटर में ले रहे एडमिशन, नहीं मान रहे राज्यपाल का आदेश

झारखंड के डिग्री कॉलेज इंटर में ले रहे एडमिशन, नहीं मान रहे राज्यपाल का आदेश

Ranchi : झारखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अंतर्गत संचालित डिग्री कॉलेजों में इंटरमीडिएट (प्लस टू) की पढ़ाई और एडमिशन पर राज्यपाल की रोक के बावजूद कई एफिलिएटेड कॉलेजों द्वारा नियमों का उल्लंघन कर एडमिशन लिए जाने का मामला सामने आया है. यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के प्रावधानों का सीधा उल्लंघन है, जिसके तहत इंटरमीडिएट की पढ़ाई केवल प्लस टू हाईस्कूलों और इंटर कॉलेजों में ही होनी है.

एनईपी 2020 और इंटरमीडिएट की पढ़ाई पर रोक

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का मुख्य उद्देश्य स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा के बीच एक स्पष्ट विभाजन स्थापित करना है. इसी नीति के तहत, यह स्पष्ट किया गया था कि राज्य के सभी अंगीभूत (Constituent) और संबद्ध (Affiliated) कॉलेजों में कक्षा 11वीं और 12वीं (इंटरमीडिएट) की पढ़ाई नहीं होगी. यह कदम छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए तैयार करने और डिग्री कॉलेजों को स्नातक स्तरीय कोर्सों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करने के लिए उठाया गया था. वर्तमान में, एनईपी 2020 के सिलेबस के अनुसार राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में 4 वर्षीय स्नातक स्तरीय कोर्सों की पढ़ाई हो रही है.

नियमों का उल्लंघन और अवैध एडमिशन

राज्यपाल द्वारा स्पष्ट रोक और एनईपी के प्रावधानों के बावजूद, जेएम कॉलेज भुरकुंडा रामगढ़, जुबली कॉलेज रामगढ़, आनंदा कॉलेज हजारीबाग, निर्मला कॉलेज रांची, गोस्सनर कॉलेज रांची, संजय गांधी कॉलेज रांची जैसे कई एफिलिएटेड कॉलेजों में इंटरमीडिएट में एडमिशन लिए जा रहे हैं. यह न केवल राजभवन के निर्देशों की अवहेलना है, बल्कि एनईपी के मूल सिद्धांतों का भी उल्लंघन है, जो स्पष्ट रूप से कहता है कि इंटर कला, विज्ञान और वाणिज्य स्ट्रीम में एडमिशन और पढ़ाई केवल प्लस टू हाईस्कूलों और इंटर कॉलेजों में ही हो सकती है.

राजभवन की सख्ती और विश्वविद्यालयों से जवाब तलब

इस गंभीर मामले का संज्ञान लेते हुए राजभवन ने सख्त रुख अपनाया है. राजभवन की संयुक्त सचिव अर्चना मेहता ने राज्य के चार विश्वविद्यालयों – विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग, कोल्हान विश्वविद्यालय चाइबासा, सिद्धो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका और निलंबर-पीतांबर विश्वविद्यालय मेदिनीनगर – को पत्र लिखकर सात दिनों के भीतर जवाब मांगा है. राजभवन जानना चाहता है कि इन कॉलेजों में इंटरमीडिएट के एडमिशन क्यों और कैसे लिए जा रहे हैं, जबकि इस पर स्पष्ट रोक है.

विश्वविद्यालयों की कार्रवाई और संभावित कानूनी चुनौतियां

राजभवन के पत्र के आलोक में, विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. चंद्र भूषण शर्मा ने तत्काल कार्रवाई करते हुए राज्य के सभी अंगीभूत और एफिलिएटेड कॉलेजों से तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि एनईपी में डिग्री कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई पर रोक है और इसके प्रावधानों के प्रतिकूल एडमिशन लेना गलत है. इस बीच, वित्त रहित संघर्ष मोर्चा के रघुनाथ सिंह और मनीष कुमार समेत अन्य ने घोषणा की है कि वे डिग्री कॉलेजों में इंटरमीडिएट में अवैध एडमिशन के विरोध में जल्द ही उच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे. उनका तर्क है कि यह न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है.

अवैध एडमिशन के पीछे यह हो सकती है वजह 

डिग्री कॉलेजों द्वारा एनईपी 2020 के प्रावधानों की अनदेखी कर इंटरमीडिएट में एडमिशन लिए जाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. एक प्रमुख कारण यह हो सकता है कि एफिलिएटेड कॉलेज राजभवन के निर्देश और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. 

दूसरा महत्वपूर्ण कारण राजस्व हो सकता है. इंटरमीडिएट के छात्रों से मिलने वाली फीस कई कॉलेजों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. इस आय के लालच में कॉलेज नियमों को ताक पर रख रहे हैं, जिससे न केवल शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि छात्रों के भविष्य पर भी अनिश्चितता का बादल मंडरा रहा है. राजभवन इस मामले को लेकर गंभीर है और आने वाले दिनों में और सख्त कदम उठाए जाने की उम्मीद है.

administrator

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *