
रोजगार की तस्वीर तेजी से बदल रही है। पहले जहां कंपनियां उम्मीदवारों की डिग्री और नंबर देखकर नौकरी देती थीं, वहीं अब यह पैमाना बदल रहा है। आने वाले समय में 85% कंपनियां केवल डिग्री के बजाय स्किल्स और असल दुनिया के अनुभव के आधार पर ही उम्मीदवारों को जॉब ऑफर करेंगी। यही वजह है कि माइक्रो-इंटर्नशिप और नैनो-डिग्री जैसे शॉर्ट कोर्स तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
ऑनलाइन डिग्री मार्केट तेजी से बढ़ रहा
शिक्षा क्षेत्र पर काम करने वाली ग्लोबल रिसर्च कंपनी HolonIQ के मुताबिक, 2025 तक ऑनलाइन डिग्री मार्केट 74 अरब डॉलर का हो जाएगा। इसमें माइक्रो-क्रेडेंशियल्स और नैनो-डिग्री का बड़ा योगदान होगा। करीब 85% संस्थान मान रहे हैं कि आने वाले समय में शॉर्ट कोर्स और स्किल बेस्ड प्रोग्राम करियर की दिशा तय करेंगे। स्टूडेंट्स को कुछ ही हफ्तों में मार्केट की डिमांड के हिसाब से जरूरी स्किल हासिल करने का मौका मिलेगा।
कंपनियों के खास प्रोग्राम
टाटा माइक्रो-इंटर्नशिप: 4-6 घंटे का ऑनलाइन प्रोग्राम, जिसमें 16 साल से ऊपर के छात्र या प्रोफेशनल्स भाग ले सकते हैं।
ग्रोथस्कूल इंटर्नशिप: 3 घंटे से 2 हफ्ते तक के क्रैश कोर्स, जिनमें चैटजीपीटी, लिंक्डइन जैसे स्किल्स सिखाए जाते हैं। फीस 299 रु से शुरू।
अल्माबेटर इंटर्नशिप: 6 से 8 महीने की इंटर्नशिप, जिसमें डेटा साइंस और एआई जैसे विषय शामिल। फीस तभी देनी होती है जब नौकरी लग जाए।
GUVI प्रोग्राम्स: 3-5 महीने की अवधि वाले कोर्स, जिनमें AI मेंटरशिप और प्लेसमेंट गाइडेंस शामिल है।
नई इंडस्ट्रीज में मिल रही हाई पैकेज जॉब
फूड टेक: प्रोटीन डेवलपर और ऑटोमेशन स्पेशलिस्ट को यहां 49.4 लाख रुपए तक सैलरी मिल रही है। इसके लिए NIFTEM, CFTRI और IIT खड़गपुर जैसे संस्थान बेहतर विकल्प हैं।
स्पोर्ट्स एनालिटिक्स: इस क्षेत्र में मॉडलर और टैक्टिकल एनालिस्ट की डिमांड बढ़ रही है। IIM अहमदाबाद और MIT से पढ़ाई कर बेहतर अवसर मिल सकते हैं।
साइबर सिक्योरिटी: पेनेट्रेशन टेस्टर्स सालाना 20-50 लाख रुपए तक कमा सकते हैं।
सस्टेनिबिलिटी: 2025 तक ESG इन्वेस्टमेंट्स 53 ट्रिलियन डॉलर को पार कर जाएंगी।
ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध शॉर्ट कोर्स
यूडेसिटी का साइबर सिक्योरिटी नैनो-डिग्री, कोर्सेरा का ईएसजी मैनेजमेंट कोर्स और अपग्रेड का स्पोर्ट्स एनालिटिक्स बूटकैंप स्टूडेंट्स को भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं। इन कोर्सेज का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कम समय और कम खर्च में छात्र खुद को इंडस्ट्री की बदलती जरूरतों के हिसाब से अपग्रेड कर पा रहे हैं।